Thursday, July 30, 2015

आतंकवादी की परिभाषा अलग अलग समय पर अलग अलग होता है और सजा भी अलग अलग होता है। क़ानून सब के लिए बराबर है इस बात से किसी को इंकार नहीं, परन्तु इस पर अमल व्यक्ति विशेष, जाती विशेष, धर्म विशेष देख कर ही होता है। लेहाज़ा यह कहना की हर आतंकवादी को फांसी दो, आँख में पट्टी बंधी हुई न्यायिक व्यवस्था को चुनौती के सामान होगा। फांसी रुके या न रुके, आतंकवाद ज़रूर रुकना चाहिए और यही सभी हिन्दुस्तानी का लक्ष होना चाहिए। जय हिन्द

धर्म

दुनिया मैं बहुत कम ही लोग होंगे जो अपने मन से किसी धर्म को अपनाये होंगे , बाक़ी लोग तो इस लिए हिन्दू ,मुसलमान, ईसाई ,सिख हैं क्योँ की इनके बाप ,दादा हिन्दू, मुसलमान ,ईसाई, सिख थे।
मनु स्मृति जिसके श्लोक का आज मेमन के केस मैं जज ने हवाला दिया ऐसी किताब है जिससे हमेशा समाज बंटा । मनु स्मृति में साफ़ लिखा है की दलित सिर्फ मैला साफ़ करने के लिए पैदा हुआ है, अगर दलित वेद् सुनले तो उनके कान में शीशा पिघला के डाल दो।
अगर मनुस्मृति को फिर हिंदुओं का कानून बना दिया जाये तो सभी दलित सिर्फ मैला साफ़ करने के लायक रहेंगे। दलित न वेद् सुन पायेगा और न मंदिर मैं पूजा। आरएसएस उसी मनुस्मृति के कानून को मानता है।